Madhu varma

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लेखनी कविता -पंखा - बालस्वरूप राही

पंखा / बालस्वरूप राही


बटन दबाते ही चल पड़ता
सुस्ती नहीं दिखाता है,
इतनी सारी हवा न जाने
चुरा कहाँ से लता है।

कितनी ही गर्मी हो बाहर
कमरा ठंडा कर देता,
तीन परों वाला यह पक्षी
हवा सुहानी भर देता।

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